BIG NEWS : झारखंड में दल-बदल मामले में तीन विधायकों को नोटिस...
◆ स्पीकर ने बाबूलाल मरांडी, बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को 17 दिसंबर को बुलाया
शादाब
रांची : झारखंड विधानसभा के स्पीकर ने दल-बदल मामले की सुनवाई सोमवार को शुरू कर दी। उन्होंने झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के सिंबल पर जीतकर सदन में पहुंचे तीन विधायकों बाबूलाल मरांडी, बंधु तिर्की और प्रदीप यादव को 17 दिसंबर को पूरी तैयारी के साथ आने के लिए कहां है। स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने जेवीएम के तीन विधायकों में से एक के भाजपा और दो के कांग्रेस में शामिल होने के फैसले को दल-बदल का मामला मानते हुए तीनों विधायकों को नोटिस जारी किया गया है।
दरअसल आज सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधीकरण में हुई सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता एस. सहाय उपस्थित हुए। बकौल अधिवक्ता स्पीकर की तरफ से जारी नोटिस को बाबूलाल मरांडी की ओर से झारखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है, इस कारण न्यायाधिकरण से सुनवाई के लिए वक्त देने का आग्रह किया गया। उन्होंने बताया कि 12 नवंबर को बाबूलाल मरांडी की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर नोटिस को चुनौती दिया गया, लेकिन कोरोना संक्रमण के मद्देनजर नयी व्यवस्था के तहत उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए दायर याचिका को 48 घंटे तक बक्से में रखा जाता है और फिर उस पर निर्णय लिया जाता है। इस बीच 13 नवंबर से दीपावली और छठ की छुट्टी हो गई। अब उनकी ओर से यह कोशिश की जाएगी कि जल्द से जल्द सुनवाई हो सके।
वहीं विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की ओर से न्यायाधिकरण में उपस्थित अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने बताया कि उनकी ओर से न्यायाधिकरण में यह तर्क दिया गया कि जेवीएम के तीन में से दो विधायकों का कांग्रेस में विलय पूरी तरह से संविधान सम्मत है। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग की ओर से भी विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा गया है, जिसमें ये विधायक किस पार्टी के है, इसका निर्धारण करने की जिम्मेवारी विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी गयी है।
एडवोकेट सुमित के मुताबिक बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता की ओर से समय देने का आग्रह करने पर न्यायाधिकरण की ओर से मामले में सुनवाई की अगली तिथि 17 दिसंबर निर्धारित की गयी है। कांग्रेस में शामिल विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के अधिवक्ता की ओर से न्यायाधिकरण में यह भी तर्क दिया कि झारखंड में वर्ष 2014 में भी जेवीएम के आठ में से छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गये थे, उस मामले में भी सुनवाई के दौरान न्यायाधिकरण ने इसे दल-बदल नहीं, बल्कि दो-तिहाई विधायकों के बीजेपी में विलय को वैद्य माना था। इस बार भी दो-तिहाई विधायकों का कांग्रेस में हुआ है।
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