महाराष्ट्र पॉलिटिक्स : अभी खेल बाकी है...
● न्यायालय : कोई नई बात आने की संभावना नहीं, सदन में शक्ति परीक्षण के ही आदेश हो सकते हैं, जो पहले भी होना ही था
सिद्धार्थ सौरभ
नई दिल्ली : महाराष्ट्र में शनिवार सुबह-सुबह भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा उलटफेर देखने को मिला। बीजेपी ने एनसीपी नेता अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बना ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद की शपथ दिलाई, जबकि अजित पवार को डिप्टी सीएम का पदभार मिला है। इस बड़े उलटफेर के बीच शिवसेना के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनसीपी सुप्रीमो ने कहा कि हमारे पास नंबर है और सरकार तो हम ही बनाएंगे। वहीं, एनसीपी चीफ शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने-अपने विधायकों के साथ बैठक की। एनसीपी की बैठक में अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया और उनकी जगह जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता चुन लिया गया।
यकीनन तीस साल से ऐंटी डिफ़ेक्शन कानून लागू है। फिर भी भारत ओपन डिफ़ेकेशन, क्षमा करें, ओपन डिफ़ेक्शन से मुक्त नहीं हुआ है।
संविधान में हुए संशोधन के आधार पर यदि कोई विधायक (या सांसद) सदन में अपने नेता के आदेश के विरुद्ध मत देता है या कुछ ऐसा करता है जिससे स्पष्ट हो कि वह अपने राजनैतिक दल से अलग हो गया है तो उसे अयोग्य घोषित कर उसकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
अयोग्य घोषित करने का, और सदस्यता समाप्त करने का अधिकार सभा के अध्यक्ष को है। जब अध्यक्ष का चुनाव ही नहीं हुआ हो तब यह अधिकार किसी को नहीं है।
फिर एनसीपी के विधायक दल के नेता अजित जी पवार हैं। यदि वे भाजपा के साथ हैं तो भाजपा का साथ नहीं देने वाले एनसीपी के सदस्य डिफ़ेक्ट कर रहे हैं न कि अजित जी। लेकिन यह प्रावधान भी है कि यदि एक नियत प्रतिशत से अधिक सदस्य डिफ़ेक्ट कर रहे हों तो वे अयोग्य घोषित नहीं किये जा सकते।
क्या होगा? अजित जी एनसीपी में अकेले रह जाएंगे? शरद पवार, सोनिया और उद्धव सर्वोच्च न्यायालय चले गए। न्यायालय कोई नई बात नहीं लाएगी। सदन में शक्ति परीक्षण के ही आदेश हो सकते हैं, जो पहले भी होना ही था।
शक्ति परीक्षण शून्य में नहीं हो सकता। निर्वाचित लोगों का विधायक के रूप में शपथ ग्रहण होगा, जिसके बाद अध्यक्ष चुने जाएंगे जो शक्ति परीक्षण कराएंगे। इसमें समय लगेगा। और समय के साथ दबाव डालने के अवसर मिलेंगे।
उधर, भाजपा सूत्रों कहना है कि महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के अस्तित्व पर कोई संकट नहीं है। पीएम का बधाई देने संबंधी ट्वीट से साफ है कि बहुमत हासिल करने के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही उन्होंने ट्वीट किया। सूत्रों का कहना है कि शक्ति परीक्षण से पहले राज्य में एक और उलटफेर होगा, जिसका इशारा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने किया है। अठावले ने एनसीपी प्रमुख के सांसद पुत्री सुप्रिया सुले के केंद्र में मंत्री बनने की बात कही है।
गौरतलब है कि बीते विधानसभा चुनाव में भी 122 सीटें जीतने वाली भाजपा बहुमत से दूर थी। तब भी शिवसेना लगातार भाजपा को तेवर दिखा रही थी। फिर पवार से समर्थन मिलने के भरोसे के बाद भाजपा ने वहां अल्पमत सरकार बनाई। इसके बाद जब एनसीपी-भाजपा के सीधे सीधे गठबंधन की नौबत आई तो शिवसेना ने हथियार डाल दिए। इस बार हथियार न डालने के कारण फिर भाजपा को एनसीपी से सहारा मिला है।
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