BIG NEWS : अंबानी के घर के बाहर कार में विस्फोटक : दाल में कुछ काला है
सिद्धार्थ सौरभ
मुंबई : एशिया के दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी के निजी आवास के पास डिटोनेटर्स और विस्फोटक प्रणाली से लदी स्कार्पियो कार के मालिक की आत्महत्या करने के बाद भाजपा नेताओं ने मुंबई में इस घटनाक्रम की गहराई से जाँच कराने के लिए सड़क पर आ गए हैं।
मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली संदिग्ध कार के मालिक मनसुख हिरेन की मौत को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। यही नहीं उन्होंने इस मामले की एनआईए से जांच कराने की भी मांग की है। देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को लेकर विधानसभा के बाहर मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैं हाउस में मनसुख हिरेन को सुरक्षा देने की मांग की थी। मैंने कहा था कि वह मामले की मुख्य कड़ी है और वह खतरे में हो सकता है। अब हमें पता चला है कि उनका शव मिला है। इससे केस और उलझ गया है। इस घटना और टेरर ऐंगल को देखते हुए, हमारी मांग है कि केस की जांच एनआईए को सौंपी जाए।'
देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को ही विधानसभा में इस मामले की जांच एनआईए से कराने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि घटना के जांच अधिकारी सचिन वझे और मनसुख हिरेन काफी पहले से संपर्क में थे। उन्होंने एक सीडीआर भी पेश की। फडणवीस ने कहा, 'गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन की गाड़ी जिस दिन चोरी हुई, जहां उनकी गाड़ी बंद हुई और वहां से वह क्रॉफ्ट मार्केट आए, यहां उन्होंने एक व्यक्ति से मुलाकात की। वह व्यक्ति कौन है, यह इसमें सबसे बड़ी कड़ी है। यह गाड़ी जब वहां स्पॉट हुई तो लोकल पुलिस से पहले पुलिस अधिकारी सचिन वाझे वहां कैसे पहुंचे? उन्हीं को वह चिट्ठी कैसे मिली?'
फडणवीस ने कहा कि सचिन को ही आइओ अपॉइंट किया गया। इसके बाद टेलीग्राम पर एक पत्र मिला। इस पत्र में जिसे जैश-उल-हिंद नाम के संगठन ने जिम्मेदारी ली और क्रिप्टोकरेंसी में फिरौती की मांग की। वह पता गलत था, दूसरे दिन यह जो तथाकथित जैश-उल-हिंद है, उसने भी इस लेटर को गलत ठहराया।' इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस ने जांच अधिकारी सचिन वझे और मनसुख हिरेन के बीच जुलाई 2020 में फोन पर बातचीत होने का मुद्दा भी उठाया। देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'जो जानकारी मेरे पास आई है, जो कड़ियां जुड़ रही हैं। इससे दाल में तो कुछ काला लग रहा है। जिसकी गाड़ी थी वह इस केस में सबसे बड़ा गवाह था। उसका जांच के दौरान ही मर जाना संदेह पैदा करने वाला है।
गौरतलब है कि मुंबई में ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में सचिन वझे ने साल 2008 में इस्तीफा दे दिया था। वझे को यूनुस की मौत के मामले में साल 2004 में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद वे सस्पेंड कर दिए गए थे। वझे पर यूनुस की हिरासत में मौत से जुड़े तथ्य छिपाने का आरोप था। हालांकि, उद्धव सरकार बनने के बाद तक़रीबन 12 साल बाद 7 जून 2020 को उन्हें फिर बहाल कर दिया गया। उन्हें मुंबई पुलिस के क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) का हेड बनाया गया। साल 1990 बैच के पुलिस अधिकारी वझे अपने कार्यकाल के दौरान लगभग 63 मुठभेड़ का हिस्सा रहे। सचिन वाझे वही शख्स हैं जिन्होंने अर्नब गोस्वामी को उनके घर से अरेस्ट किया था।
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