BIG NEWS : चीनी साइबर हमले का मतलब एक कोड से हैकर के इशारों पर नाचने लगता है सिस्टम
◆ मुम्बई पॉवर ग्रिड हैकिंग विवाद के बीच सामने आया सच, नहीं बनी चीनी साइबर हमलों को नाकाम करने वाली साइबर सिक्योरिटी स्ट्रेटजी !
नई दिल्ली : महाराष्ट्र सरकार की ओर से मुम्बई में पिछले साल अक्टूबर में पॉवर ग्रिड फेल होने के पीछे चीनी साइबर हमले की आशंका जताने के बाद हालांकि केन्द्र सरकार ने इसे अधिक तवज्जो नहीं दी है लेकिन देश के साइबर विशेषज्ञ चिंतित हैं क्योंकि साइबर सिक्योरिटी स्ट्रेटजी बनाने के काम को नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल अभी तक पूरा नहीं कर पाया है। काउंसिल को ये काम पिछले साल अर्थात 2020 में ही पूरा करना था।
दुनिया में कहीं भी साइबर हमले कर सकती है पीएलए-एसएसएफ
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स (पीएलए-एसएसएफ) कहलाने वाली चीनी साइबर सेना पर हाल ही प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि चीन ने साइबर हमलों को अंजाम देने के लिए तैयार की गई पीएलए-एसएसएफ को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2015 में आकार दिया था। इसकी कमान चीन के जनरल स्तर के अधिकारी के पास होती है। यह सेना दुनिया भर में कहीं भी साइबर हमलों को अंजाम दे सकती है। इस फोर्स के तहत ऐसे लोग भी काम करते हैं जो एसएसएफ से जुड़े नहीं होने के बावजूद उसके इशारे पर काम करते हैं। आम बोलचाल की भाषा में हैकर्स कहलाने वाले इन लोगों का इस्तेमाल साइबर हमलों के लिए किया जाता है।
महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट में मॉलवेयर और ट्रोजन का जिक्र !
मुंबई में पिछले साल 12 अक्टूबर को हुए साइबर हमले का कारण चीनी हार्ड-वेयर, साफ्टवेयर का इस्तेमाल माना जा रहा है जिसका उपयोग देश के इलेक्ट्रिसिटी ग्रिडों आमतौर पर किया जाता है। माना जा रहा है कि मुंबई स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड में भी चीनी हार्डवेयर और साफ्टवेयर का प्रयोग किया गया है और उसके हैकर्स और साफ़्टवेयर प्रोग्रामरों ने सिर्फ एक कोड जेनरेट करके मॉलवेयर को सिस्टम में घुसा कर उसे हैक कर लिया होगा। इस मामले पर महाराष्ट्र सरकार की रिपोर्ट में भी ‘मॉलवेयर’ और ‘ट्रोजन’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। केंद्रीय बिजली मंत्री ने भी अपने बयान में इन शब्दों का जिक्र किया है।
सॉफ्टवेयर जैसा दिखता है ट्रोजन !
मॉलवेयर एक सॉफ्टवेयर है जो किसी भी सिस्टम की जानकारी या आंकड़े चुरा सकता है। इससे संवेदनशील आंकड़े चुराने, डिलीट कर देने, सिस्टम के काम का तरीका बदल देने और सिस्टम पर काम करने वाले व्यक्ति पर नजर रखने जैसी एक्टिविटी को अंजाम दे सकता है। इसी तरह ट्रोजन भी एक तरह का मॉलवेयर होता है और सिक्योरिटी सिस्टम से परे जाकर बैक डोर बनाकर सिस्टम पर नजर रखता है। ये सॉफ्टवेयर जैसा दिखता है और आसानी से किसी टेम्पर्ड सॉफ्टवेयर में मिल जाता है।
हैकरों के 2 लाख 90 हजार हिट्स दिखे !
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के साइबर पीस फाउंडेशन ने 20 नंवबर 2020 से 17 फरवरी 2021 के बीच रिसर्च में पाया कि चीन के आईपी एड्रेस से क्रिटिकल केयर इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे पॉवर ग्रिड, अस्पताल, रिफ़ाइनरी) पर साइबर हमले तेज़ हुए हैं। नवंबर से फरवरी के दौरान ऐसे 2 लाख 90 हजार हिट्स देखे गए जिनसे पता चला कि किस आईपी ए़ड्रेस से साइबर हमले की कोशिश हो रही है। इन आईपी एड्रेस में चीन के आईपी एड्रेस काफी ज़्यादा थे।
जहां तक भारत के साइबर हमला रोकने वाले ढांचे का सवाल है तो भारत के पास दो संस्थाएं हैं जिनके पास साइबर हमले रोकने की जिम्मेदारी है। इनमें से एक भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम (सर्ट) है। इसे 2004 में गठित किया गया था। दूसरी एजेंसी नेशनल क्रिटिकल इंफॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर है। ये 2014 से काम कर रही है। ये क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले हमलों की जांच और रेस्पॉन्स का काम करती है।
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