BIG NEWS : कांग्रेस में रार, वंशवाद के खिलाफ व आंतरिक लोकतंत्र बहाली पर होगा प्रहार
टोनी पाधा
जम्मू : कांग्रेस पार्टी में वंशवाद, आंतरिक लोकतंत्र की बहाली और पार्टी को नए सिरे से धार देने के लिए कांग्रेस का एक मुख्य धड़ा जम्मू में मंथन कर रहा है। सियासत की कांकरीली राह पर चलकर आए और मोर्चा संभाल रहे कांग्रेस के जी-23 खेमे ने अब जम्मू-कश्मीर से हाईकमान के खिलाफ लड़ाई का शंखनाद कर इस मुहिम को आक्रामक चलाने का ऐलान किया है।जी-23 खेमे ने पार्टी को बचाने का नारा देकर इस मुहिम को तेज करने के संकेत भी दे दिए।
पार्टी सूत्रों के हवाले से खबर है कि जी-23 खेमा अब पूरे देश में ऐसी सभाएं व बैठकें कर वंशवाद के खिलाफ आवाज उठा पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र बहाली की मुहिम को धार देने की तैयारी में है। जी-23 खेमे ने जम्मू में सार्वजनिक शक्ति प्रदर्शन कर पार्टी आलाकमान को एक संदेश देने की कोशिश की है। किस बात की पक्की खबर है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस का जी-23 और आक्रामक रुख अख्तियार कर सकता है।
गौरतलब है कि आनंद शर्मा को सदन में विपक्ष का लीडर ना बनाना कांग्रेस के कई दिग्गजों के दुखती रग पर हाथ रखने के बराबर था। कांग्रेस के युवराज के बिना सिर पैर की बयान से आए दिन परेशान कांग्रेसियों के लिए रही सही कसर गुलाम नबी आजाद की रिटायरमेंट ने पूरी कर दी। दरअसल राज्यसभा में कार्यकाल पूरा होने के बाद गुलाम नबी आजाद को पार्टी की ओर से दोबारा मौका न दिए जाने के फैसले ने चिंगारी को भड़काने का काम किया। जी-23 खेमें में शामिल दिग्गज नेता इसे बदले की कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि आजाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मुहिम चलाई। लिहाजा हाईकमान और उनके करीबियों ने आजाद को दोबारा सदन में नहीं भेजा।
कांग्रेस के इस गुट की यह भी दलील है कि राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों ने आजाद के अनुभव की खुलेआम सराहना की, पर अपनी ही पार्टी में उनकी कद्र नहीं की गई। इसे जी-23 के नेताओं को पार्टी की मुख्यधारा से किनारे करने के फैसले के रूप में देखा जा रहा है। इसी के तहत गांधी ग्लोबल फैमिली की ओर से शनिवार को जम्मू में आयोजित शांति सम्मेलन में पार्टी के दिग्गजों ने नेतृत्व को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की।
कांग्रेस की राह व दिशा पर संदेश देने की होगी कोशिश
सूत्रों के हवाले से खबर है कि जी-23 गुट की यह मुहिम अब रुकेगी नहीं। सभी राज्यों में जी-23 के नेताओं व उनके समर्थकों की सभाएं और बैठकें की जाएंगी। यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी कि कांग्रेस किस राह पर जा रही है और उसकी दिशा क्या हो गई है। कैसे कुछ लोग इसे कमजोर करने की लगातार कोशिशें कर रहे हैं। कभी केंद्र व ज्यादातर प्रदेश में सत्तारूढ़ रहने वाली कांग्रेस अब हाशिये पर आ गई है। ऐसे में हाल के दिनों में होने वाले पांच राज्यों के चुनाव काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। G-23 की दशा और दिशा आसन्न पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस के परफारमेंस पर भी निर्भर करेगी।
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