BIG NEWS : UN में भारत ने उठाया ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में मंदिर तोड़े जाने का मुद्दा, कहा - मूकदर्शक बनी रही पाकिस्तामन सरकार
सिद्धार्थ सौरभ
नई दिल्ली : भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक मौलवी के नेतृत्व में कट्टरपंथियों द्वारा पाकिस्तान में हिंदू मंदिर को तोड़े जाने के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया है। भारत ने कहा कि दुनिया में आतंकवाद, हिंसात्मक अतिवाद, कट्टरपंथ और असहिष्णुता बढ़ रही है। इससे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत स्थलों पर आतंकी हमले और विनाश का खतरा पैदा हो रहा है। यूएन में भारत ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर जारी अत्याचार का ताजा उदाहरण हाल ही में पाकिस्तान के करक जिले में देखने को मिला है। जहां बीते दिसंबर 2020 में कट्टरपंथियों ने एक मौलवी के कहने पर एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर पर हमला किया और भीड़ ने उसमें आग लगा दी। वहीं इस मामले पर इमरान खान सरकार मूकदर्शक बनी रही।
भारत ने कहा कि अफगानिस्तान में कट्टरपंथियों द्वारा भगवान बुद्ध की मूर्तियां तोड़े जाने की याद आज भी हमारे जेहन में हैं। आतंकियों ने अफगानिस्तान में सिखों के गुरुद्वारे पर कायराना हमला किया था, जिसमें 25 श्रद्धालु मारे गये थे। वहीं इस बार पाकिस्तान में प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद भीड़ ने मंदिर में आग लगा दी थी। लेकिन उस समय वहां का प्रशासन मूकदर्शक बनकर खड़ा था। भारत ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए शांति और सहिष्णुता की संस्कृति को बढ़ावा देने पर संकल्प को अपनाने के दौरान संयुक्त राष्ट्र में यह बयान दिया। भारत ने कहा कि हम सभी को उन ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा जो शांति की जगह घृणा और हिंसा की बात करते हैं। बता दें कि करक जिले में तोड़े गये मंदिर में एक हिंदू धार्मिक नेता की समाधि थी। हिंदू समुदाय ने मंदिर की दशकों पुरानी इमारत के जीर्णोद्धार के लिए स्थानीय अधिकारियों से अनुमति ली हुई थी। जिसके बाद कुछ स्थानीय मौलवियों और जमीयत उलेमा-ए- इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) के समर्थकों की अगुवाई में भीड़ ने पुराने ढांचे के साथ-साथ नए निर्माण कार्य को भी तोड़ दिया था। इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने निंदा की थी।
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