BIG NEWS : चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के भीतर गांव बसा दिया
टोनी पाधा
श्रीनगर : पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के भीतर गांव बसा दिया है। इस गांव में करीब 101 घर भी बनाए गए हैं। यह गांव अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक भारतीय सीमा के करीब 4.5 किमी अंदर स्थित है। इस पर अब विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि, हमने भारत के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन के निर्माण कार्य पर हालिया रिपोर्ट देखी है। चीन ने पिछले कई वर्षों में इस तरह की बुनियादी ढांचा निर्माण गतिविधि शुरू की है। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं।
अरुणाचल में चीन के गांव बनाने की मीडिया रिपोर्टों पर विदेश मंत्रालय ने कहा कि, हमने भारत के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन के निर्माण कार्य पर हालिया रिपोर्ट देखी है। चीन ने पिछले कई सालों से इस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया है। मंत्रालय ने कहा कि जवाब में हमारी सरकार ने भी बॉर्डर पर रोड, पुल आदि सहित कई सारे इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किए हैं, जिससे बॉर्डर के समीप रह रहे स्थानीय लोगों को मदद मिली है।
मंत्रालय ने कहा कि, अरुणाचल प्रदेश सहित सभी बॉर्डर इलाकों में नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए पूरी तरीके से प्रतिबद्ध है। सरकार ने बॉर्डर इलाकों में चीन के कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी की रिपोर्ट देखी है। भारत सरकार इस पर लगातार नजर रख रही है। भारत सरकार अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें कि, हाल में भारतीय सीमा के भीतर चीनी निर्माण की तस्वीरें सामने आई हैं।
सेटेलाइट तस्वीरों से यह पता चला है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में एक गांव बनाया है जहां करीब 101 घर हैं। ये तस्वीरें 1 नवंबर 2020 की है, जिस पर कई विशेषज्ञों ने पुष्टि की है कि ये कंस्ट्रक्शन भारतीय सीमा में वास्तविक नियंत्रण रेखा से करीब 4.5 किलोमीटर अंदर बने हैं। यह गांव अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है। इस गांव के किनारे त्सारी चू (River Tsari Chu) नाम की नदी भी बहती है।
इस संबंध में अरुणाचल प्रदेश के बीजेपी सांसद तापिर गाओ ने एक बयान में कहा कि," 80 के दशक से जमीन पर कब्ज़ा करके चीन बैठा है, आर्मी इंटेलिजेंस ने उस समय की भारत सरकार को रिपोर्ट जरूर दी होगी। उस समय कांग्रेस ने कार्रवाई क्यों नहीं की? वहां(अरुणाचल प्रदेश) सिर्फ गांव ही नहीं है वहां पर मिलिट्री बेस, हाइड्रो पावर भी बनाए हैं।आज उन्होंने गांव बनाया होगा और भी चीजें बनाते जाएंगे अगर हम इसका कोई हल नहीं निकालते। भारत सरकार चीन की सरकार के साथ चर्चा करे और मेक मैकमोहन लाइन के आधार पर हम सीमा-निर्धारण करें और एग्रीमेंट करें।"
भारतीय इलाके पर वर्ष 1959 से चीनी कब्जा, अब बसाया गांव
सैटलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने अपना यह गांव भारत के त्सारी चू नदी के किनारे बसाया है। भारत के रक्षा सूत्रों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के इस इलाके पर चीन का वर्ष 1959 से कब्जा है। चीनी सेना ने कुछ साल पहले ही यहां पर अपनी एक सैन्य चौकी भी स्थापित की थी जो समुद्र तल से करीब 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उन्होंने कहा कि चीनी सेना ने डोकलाम की घटना के बाद अब इस इलाके में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। चीन ने वर्ष 1959 में असम राइफल्स को हटाकर इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से यह इलाका चीनी सेना के नियंत्रण में है। यही नहीं चीनी धीरे-धीरे लगातार इस विवादित इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। 1962 की जंग के बाद चीनी सेना पीछे चली गई थी लेकिन अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के इलाके में अभी भी बनी हुई है। ताजा घटना से पहले वर्ष 1990 के दशक के अंतिम वर्षों में चीन ने इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया।
डोकलाम के बाद शी जिनपिंग ने रची गांव बसाने की चाल
वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय सेना के हाथों मुंह की खाने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हरकत में आए और उन्होंने तिब्बत में 'बॉर्डर डिफेंस विलेज' बनाने की शुरुआत की। तिब्बती संगठनों का कहना है कि चीनी राष्ट्रपति का गांव बसाने का मकसद तिब्बत और बाकी दुनिया के बीच एक ऐसा 'सुरक्षा बैरियर' बनाना था जो अभेद्य हो। माना जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश में बसाया गया गांव भी चीनी राष्ट्रपति के अजेंडे का हिस्सा है। सेव तिब्बत संगठन के मुताबिक इन गांवों में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को बसाया जा रहा है। इसके जरिए चीनी की कोशिश दलाई लामा के समर्थकों की तिब्बत में घुसपैठ को रोकना और कम्युनिस्ट पार्टी के हितों को साधना है। उसने कहा कि चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा को चीन के सिचुआन से जोड़ने के लिए रेलवे टनल ब्रिज बनाया है। इस पुल का रणनीतिक रूप से बेहद अहम भारत की सीमा तक रेलवे को लाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
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