BIG NEWS : जम्मू कश्मीर में भटके युवाओं को वापसी का मौका दे रही है सेना, बीते 6 माह में 17 आतंकियों ने किया सरेंडर - लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू
टोनी पाधा
श्रीनगर : लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने कहा कि भारतीय सेना आतंकवाद के झांसे में आये युवाओं को एक मौका देना चाहती है। इसके लिए आत्मसमर्पण नीतियों में कुछ बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 6 महीने में आतंकवाद में शामिल 17 युवाओं को आत्मसमर्पण नीति के तहत वापस लाया गया है।
जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा कि 2020 में आतंकवादियों की भर्ती काफी हद तक नियंत्रण में थी। उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में घाटी में सक्रिय आतंकियों की संख्या करीब 217 है, जो कि पिछले एक दशक में सबसे कम है। पाकिस्तान के नापाक मंसूबों पर उन्होंने कहा कि ड्रोन और सुरंगों के जरिए पाकिस्तान ड्रग्स और हथियार भेजने की फिराक में रहता है। इसके लिए सेना की ओर से अंडरग्राउंड रडार समेत कई हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस साल हम पिछले साल की तुलना में घुसपैठ को 70 फीसदी से कम करने में कामयाब रहे हैं।
वहीं लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा कि जब भी कोई एनकाउंटर होता है तो आतंकियों से संपर्क स्थापित किया जाता है। साथ ही सेना की कोशिश रहती है कि स्थानीय लोगों को कम से कम दिक्कत का सामना करना पड़े। उन्होंने कहा कि जब भी मुठभेड़ के दौरान पता चलता है कि आतंकी स्थानीय है, तो सेना उनको आत्मसमर्पण का मौका देती है। अगर उनकी पहचान पता चलती है तो उनके परिवार वालों को भी मौके पर बुलाया जाता है, ताकी आतंकी सरेंडक कर दे। लेकिन जब आतंकी आत्मसमर्पण नहीं करते तो मजबूरन सेना को आगे की कार्रवाई करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि भटक गये युवाओं से मेरी अपील है कि वापस आओ, आप किसी भी समय वापस आ सकते हैं, जब पुलिस ऑपरेशल चल रहा हो तब भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं। बीएस राजू ने कहा कि भटके हुये युवा अपने माता-पिता के माध्यम से या हमारे हेल्पलाइन पर हमसे संपर्क कर सकते हैं। हम उनकी वापसी की व्यवस्था करेंगे। बता दें कि भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में बदलाव किया है, जिसके तहत वह मुठभेड़ों के दौरान अपने कर्मियों की जान को खतरा होने के बावजूद आतंकवादियों के आत्मसमर्पण का मौका दे रही है।
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