वेलडन मी लॉर्ड...
राजीव मित्तल
नई दिल्ली : प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले न्यायधीश ने पहले तो अपने घुँघर पड़े सफेद-काले बाल झटके और फिर अपने काले कोट की आस्तीन इस अंदाज़ में ऊपर मोड़ीं कि जैसे वो कटघरे में खड़े उन दोनों यवकों को उनकी करनी के लिए कड़ी से कड़ी सजा देने जा रहे हैं..
तुम दोनों ने हद दर्ज़ की जलील हरक़त की है-न्यायधीश बमके..तुमने जंगली जानवरों से भी बदतर हरक़त की है..लेकिन ख़ुदा का शुक्र है कि तुमने बेचारी लड़की का कौमार्य भंग नहीं किया...मैं पुलिस अफसर की रिपोर्ट की तस्दीक करता हूँ कि योनि से खून निकलना कोई बड़ा अपराध नहीं अन्यथा मैं तुम दोनों को 20 साल की सजा देता..
फिर न्यायधीश रुके और पानी पिया..उनने कुछ रुक कर कोर्ट के चारों ओर एक नज़र डाली और फिर उन बलात्कारी युवकों के पुराने चाल चलन की रिपोर्ट बड़े ध्यान से देखने लगे.रिपोर्ट पढ़ते हुए उनके माथे पे बल पड़े, और फिर भौहें चढ़ा कर उन्होंने दोनों युवकों की तरफ देखा..
न्यायप्रिय जज ने फिर एक बार अपने कंधे झटकाये और चेहरे पर जबरन गुस्सा लाते हुए बोले-तुम दोनों की युवावस्था, तुम दोनों के मासूम चेहरे, तुम्हारे निष्कलंक चरित्र और तुम दोनों के सम्मानित परिवारों के मद्देनज़र और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि न्याय की मर्यादा में प्रतिशोध का कोई स्थान नहीं..मैं तुम दोनों को तीन वर्ष की सज़ा सुनाता हूँ परंतु यह सज़ा तुम दोनों पर उस समय लागू होगी जब तुम फिर कोई अपराध करोगे...और इसी अदालत में पेश किये जाओगे..फिलहाल रिहा किये जाते हो..
नाटक खेला जा चुका था..बरी हो चुके दोनों युवक और उनके माता पिता एक दूसरे के गले मिल रहे थे..उनके वकील सबसे हाथ मिला रहे थे...गंगा उतनी ही पावन थी..हिमालय उतना ही अभेद्य था..आर्यवर्त उतना ही पावन था..पुरानी कथा आज के संदर्भ में...
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