BIG NEWS : किसान आंदोलन पर केंद्र के रवैये से सुप्रीम कोर्ट 'निराश', कहा- आप कानून होल्ड करेंगे या हम करें ?
◆ किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम नहीं चाहते किसी के ख़ून के छींटे हमारे हाथों पर पड़े
सिद्धार्थ सौरभ
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज कृषि कानूनों पर सुनवाई करते हुए सवालिया लहजे में कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के मुद्दे को जिस तरह से हैंडल किया है, उसे लेकर पूछा कि क्या हो रहा है?
कोर्ट ने सरकार से कहा कि आपने बिना पर्याप्त राय-मशविरा किए हुए एक ऐसा क़ानून बनाया है जिसका नतीजा इस विरोध प्रदर्शन के रूप में निकला है। आप लोग सार्वजनिक जीवन में हैं, भारत सरकार को इसकी ज़िम्मेदारी लेनी होगी। अगर सरकार में ज़िम्मेदारी की कोई भावना होती तो आपको इन्हें थोड़े समय के लिए रोक लेना चाहिए था। आप क़ानून ला रहे हैं तो आप इसे बेहतर तरीक़े से कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर आज सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई। देश की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को सरकार से सीधे पूछ लिया कि वो खुद कानून को स्थगित करती है या फिर कोर्ट इसपर रोक लगा दे? शीर्ष अदालत ने कहा कि किसानों की चिंताओं को कमिटी के सामने रखे जाने की जरूरत है। कोर्ट ने किसान आंदोलन पर सरकार के विवाद निपटाने के तरीके पर नाराजगी जताई। सुनवाई में के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कई तीखे सवाल भी पूछे।
सुप्रीम कोर्ट ने कानून के अमल पर स्टे के संकेत दिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम स्टे करेंगे जब तक कि कमिटी के सामने बातचीत चल रही है। हम स्टे करने जा रहे हैं। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि 'हम आज की सुनवाई बंद कर रहे हैं।' किसान मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी। आदेश पारित होगा। कब होगा ये नहीं बताया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रस्ताव करते हैं कि किसानों के मुद्दों के समाधान के लिए कमिटी बने। हम ये भी प्रस्ताव करते हैं कि कानून के अमल पर रोक लगे। इस पर जिसे दलील पेश करना है कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि हम नहीं समझते कि आपने सही तरह से मामले को हैंडल किया। कोर्ट ने कहा कि हम अभी कानून के मेरिट पर नहीं जा रहे हैं लेकिन हमारी चिंता मौजूदा ग्राउंड स्थिति को लेकर है जो किसानों के प्रदर्शन के कारण हुआ है।
किसान संगठनों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हम 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च नहीं करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतना महत्वपूर्ण कानून संसद में बिना बहस के कैसे ध्वनिमत से पास किया गया?
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें खुशी हुई कि दवे ने यह कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं लेकिन अगर कानून पर रोक लगा दी जाती है तो किसान क्या प्रदर्शन स्थल से अपने घर को लौट जाएंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान कानून वापस करना चाहते हैं जबकि सरकार मुद्दों पर बात करना चाहती है। हम अभी कमिटी बनाएंगे और कमिटी की बातचीत जारी रहने तक कानून के अमल पर हम स्टे करेंगे।
जब सॉलिसिटर जनरल ने कमिटी के लिए नाम सुझाने की खातिर एक दिन का वक्त मांगा तो सीजेआई ने कहा कि 'हम रिटायर हो रहे हैं, हम आदेश जारी करेंगे।' इसपर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि 'आदेश कल दीजिएगा, जल्दी मत कीजिए।' तो सीजेआई ने कहा, "क्यों नहीं? हमने आपको बहुत लंबा रास्ता दिया है। हमें धैर्य पर लेक्चर मत दीजिए। हम तय करेंगे कि कब आदेश देना है। हम आदेश का कुछ हिस्सा आज दे सकते हैं और बाकी कल।
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