प्रेम में विरक्ति है शिव के भस्म प्रिय होने का कारण, जाने इसके पीछे की कथा
नई दिल्ली : भगवान भोलेनाथ अपने शरीर पर लगाने के लिए भस्म का इस्तेमाल करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है आखिर शिव जी भस्म में क्यों रमाए रहते हैं या फिर उन्हें भस्म इतना प्रिय क्यों है? चलिए जानते हैं इसके पीछे जुड़ी कथा....।
शिवपुराण के अनुसार, शिव जी की अर्धागिनी सती ने जब स्वंय को अग्नि में समर्पित कर दिया था, तो उनकी मृत्यु का संदेश पाकर भगवान शिव काफी क्रोधित हो गए। माता सती की विरक्ति में उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया। वे अपनी पत्नी के मृत शव को लेकर इधर-उधर घूमने लगे, कभी आकाश में, तो कभी धरती पर। जब श्रीहरि ने शिवजी के इस दुख एवं उत्तेजित व्यवहार को देखा तो उन्होंने शीघ्र से शीघ्र कोई हल निकालने की कोशिश की।
अंतत: उन्होंने भगवान शिव की पत्नी के मृत शरीर का स्पर्श कर इस शरीर को भस्म में बदल दिया। हाथों में केवल पत्नी की भस्म को देखकर शिवजी और भी चितिंत हो गए, उन्हें लगा वे अपनी पत्नी को हमेशा के लिए खो चुके हैं।
अपनी पत्नी से अलग होने के दुख को शिवजी सहन नहीं पर पा रहे थे, लेकिन उनके हाथ में उस समय भस्म के अलावा और कुछ नहीं था। इसलिए उन्होंने उस भस्म को अपनी पत्नी की अंतिम निशानी मानते हुए अपने तन पर लगा लिया, ताकि सती भस्म के कणों के जरिए हमेशा उनके साथ ही रहें।
वहीं, दूसरी ओर मान्यता ये है कि भगवान शिव ने साधुओं को संसार और जीवन का वास्तविक अर्थ बताया था जिसके अनुसार राख या भस्म ही इस संसार का अंतिम सत्य है। सभी तरह की मोह-माया और शारीरिक आर्कषण से ऊपर उठकर ही मोक्ष को पाया जा सकता है।
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